UP News : हजारों वर्षों से मुक्ति का माध्यम है : श्रीमद्भागवत महापुराण- सीएम योगी
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण 5000 वर्षों से कोटि-कोटि सनातन धर्मावलंबियों की मुक्ति का माध्यम बना है।

gorakhpur
7:32 PM, September 4, 2025
◆ युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति के उपलक्ष्य में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ
◆ जीवन के वास्तविक ज्ञान, पतन से उत्थान की ओर ले जाती है श्रीमद्भागवत कथा- मुख्यमंत्री
गोरखपुर । मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण 5000 वर्षों से कोटि-कोटि सनातन धर्मावलंबियों की मुक्ति का माध्यम बना है। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा से सनातन धर्मावलंबियों ने जीवन की वास्तविकता को खुद समझा है और दुनिया को भी समझाया है। यह ऐसी कथा है, ऐसी ज्ञान परंपरा है जो बिना रुके, बिना झुके हर काल परिस्थिति में निरंतर जारी है।
सीएम योगी गोरखनाथ मंदिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में गुरुवार अपराह्न श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में व्यासपीठ का पूजन करने के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन के वास्तविक ज्ञान के लिए, अहंकार से मुक्ति के लिए, जीवन की नश्वरता का अनुभव कराने के लिए भागवत पुराण जैसी कथाओं की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। जब व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ में बुद्धि और विवेक से शून्य हो जाता है तब श्रीमद्भागवत महापुराण जैसी कथाएं उसे पतन से उबारकर उत्थान की तरफ ले जाती हैं।
*जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली है श्रीमद्भागवत कथा*
सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा निजी स्वार्थवश होने वाली गति को दुर्गति से बचाने, उत्थान की ओर ले जाने तथा जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली कथा है। जब व्यक्ति स्वार्थ में डूबने की गति में होता है तो उसकी दुर्गति होने में देर नहीं लगती। गति को दुर्गति से बचाने और प्रगति में बदलने का मार्ग परमार्थ और लोक कल्याण का है। यही मार्ग हमें श्रीमद्भागवत कथा दिखाती है।
*सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के समन्वय की पीठ है गोरक्षपीठ*
सीएम योगी ने कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा में पूज्य आचर्यद्वय की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष गोरक्षपीठ में कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान विद्यार्थी, साधक और श्रद्धालु ज्ञान, भक्ति और कर्म की त्रिवेणी में गोता लगाकर जीवन के वास्तविक ज्ञान से परिचित होते हैं। कथा के माध्यम से गोरक्षपीठ पूज्य आचर्यद्वय की स्मृतियों को जीवंत करती है। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के समन्वय की पीठ है।
*लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण ही गोरक्षपीठ का अभीष्ट*
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर लोक कल्याण और लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण ही गोरक्षपीठ का अभीष्ट है। पीठ के पूज्य आचार्यों ने लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
*सनातन और भारत के कल्याण से ही होगा सबका कल्याण*
गोरक्षपीठाधीश्वर ने कहा कि भारत की अनादिकाल से चली आ रही परंपरा में ज्ञान प्राप्ति के अनेक मार्ग व माध्यम हैं। पर, कोई यह नहीं कह सकता कि वही श्रेष्ठ है। शिक्षार्थी और साधक के लिए मार्ग भले अलग अलग हों, लेकिन मंजिल सबकी एक ही है। वह मंजिल है सनातन और भारत का कल्याण। याद रखना होगा कि सनातन और भारत के कल्याण में ही सबका कल्याण है। जिन कारणों से सनातन को नुकसान पहुंच सकता है उसे लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि उससे हमारा कल्याण हो जाएगा। सनातन को नुकसान पहुंचने पर मानव के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। सनातन के कल्याण से ही हर व्यक्ति का कल्याण होगा।
मुख्यमंत्री के संबोधन के उपरांत श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रसपान व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यास, परिधान पीठ गोपाल मंदिर श्रीअयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कराया। कथा प्रतिदिन अपराह्न 3 बजे से शाम 6 बजे तक सुनाई जाएगी। इसका विराम 10 सितंबर को होगा।
*संत समाज को एकत्रित कर समाज को सही दिशा दिखाई गोरक्षपीठ ने : राघवाचार्य*
इस अवसर पर जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि जब-जब सनातन धर्म पर संकट आया तब-तब गोरक्षपीठ ने सभी संत समाज को एकत्रित कर समाज को सही दिशा दिखाई है।
श्रीअयोध्याधाम से पधारे स्वामी अवधेश दास जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को मनुष्य बनाने का संदेश सनातन धर्म देता है। गोरक्षपीठ सनातन धर्म के संवर्धन का कार्य करती चली आ रही है। रामानन्दाचार्य जी महाराज ने कहा अपने आचार्य व गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखना हमारी भारतीय परंपरा रही है। इस परंपरा का गोरक्षपीठ ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
*वैदिक मंत्रोच्चार के बीच निकली श्रीमद्भागवत महापुराण की पोथी शोभायात्रा*
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ से पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मुख्य मंदिर से कथा स्थल तक बैंडबाजे, शंख ध्वनि की गूंज तथा वेदपाठी विद्यार्थियों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महापुराण की पोथी शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के कथा स्थल पहुंचने पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने अखंड ज्योति स्थापित की। पोथी प्रतिष्ठा और कथा व्यास के विराजमान होने के उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अन्य यजमान ने व्यासपीठ की पूजा की।
इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, ब्रह्मचारी दासलाल जी महाराज, काशी से आए जगद्गुरु संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ, महंत धर्मदास, रामनाथ, राममिलन दास, रामलखन दास, गंगादास, भरतदास, रुद्रनाथ, भोलानाथ, मनीष दास, कालीबाड़ी के महंत रविंद्र दास सहित अनेक संत, विधायक विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल, पूर्व विधायक अतुल सिंह, पूर्व महापौर सीताराम जायसवाल, मुख्य यजमान अवधेश सिंह, अन्य यजमानगण और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूजन कार्य विद्यापीठ के वेदाचार्य डॉ रंगनाथ त्रिपाठी ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया।
*जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ती है श्रीमद्भागवत कथा : राम दिनेशाचार्य*
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पहले दिन कथा व्यास श्री राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में सिर्फ दो आयाम प्राप्त हो जाय, एक सतगुरु दूसरा किसी ग्रंथ का आश्रय मिल जाय तो जीवन धन्य हो जाता है। भगवान के द्वारा कही गई कथा ही भागवत कथा है, जिसको परम भागवत शुकदेव जी परीक्षित को सुनाते हैं।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा मृत्यु को महोत्सव बनाने वाली कथा है। परीक्षित गंगा के तट पर बैठकर महात्मा शुकदेव जी से जिज्ञासा करते हैं तो शुकदेव जी सात दिन लगातार बैठकर मृत्यु को महोत्सव बनाने वाली दिव्य भागवत कथा सुनाते हैं। कथा व्यास नें कहा कि जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ने के लिए पद्म पुराण में भागवत कथा के महत्व को बताया गया है। परमात्मा के स्वरूप को बताते हुए उससे जुड़ने के लिए भागवत कथा को परम साधन बताया गया है। भगवान का स्वरूप सच्चिदानन्द है। ब्रह्म का आनन्द जिस जीव को प्राप्त हो जाय उसको विषयानन्द फीका लगनें लगता है।
उन्होंने कहा कि प्रणाम करने से हमारे हृदय के अंदर का अभिमान सहज भाव में चला जाता है। एक प्रणाम श्रद्धा से होता है और दूसरा भय से होता है। शास्त्रों में झुककर प्रणाम करने की विधि बताई गई है। श्रीमद् भागवत के प्रथम श्लोक में कहा गया कि हम सब भगवान को प्रणाम करते हैं। कथा व्यास ने कहा कि कलयुग में काल के गाल से बचाने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है श्रीमद् भागवत कथा। इस कथा के श्रवण करने मात्र से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। जो भगवान की भक्ति से विमुख होता है उसे भगवान की प्राप्ति कराती है भागवत कथा। भारत भूमि के कण-कण में मुक्ति बसती है। यहां देवता भी आने के लिए तरसते हैं। सन्त जन का धन भगवान के नाम का संग्रह ही है। भागवतरूपी धन से मालामाल साधु का दर्शन करना भी कल्याणकारी होता है। जीव के हृदय में भक्ति की स्थापना करना सन्त का परम कर्तव्य होता है। भागवत कथा भक्ति सहित ज्ञान व वैराग्य की स्थापना करने में सक्षम होती है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत मात्र भाषा नहीं है अपितु भारत की अभिलाषा है दुनिया जब-जब सुखी जीवन जीने की अभिलाषा करेगी तब तक उसे भारत की ओर तथा संस्कृत साहित्य की ओर देखना ही पड़ेगा। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण केवल अच्छे लोग ही नहीं अपितु अच्छे बुरे सभी लोग सकते हैं, यह कथा गंगा की धारा है, जिसमें जो डुबकी लगाता है, उसका जीवन निर्मल होकर भक्ति भाव से भर जाता है। कथा का समापन आरती और प्रसाद वितरण से हुआ।